
क्या आपने कभी अपने दिल से पूछा है —
“मैं इस दुनिया में क्यों आया हूँ?”
क्या जीवन बस खाना, कमाना, सो जाना है?
नहीं! जीवन आत्मा की यात्रा है, परम सत्य की खोज है।
और इस यात्रा में सबसे ज़रूरी है —
एक सच्चे गुरु का साथ।
क्योंकि…
“गुरु बिन ज्ञान न होवे, गुरु बिन मुक्ति न होए!”
हम कौन हैं? – शरीर नहीं, आत्मा हैं!
शास्त्र कहते हैं — “अहं ब्रह्मास्मि” ✨
मतलब — मैं यह नश्वर शरीर नहीं,
बल्कि एक शुद्ध, दिव्य, अमर आत्मा हूँ।
लेकिन यह सत्य हम तक पहुँचे,
इसके लिए ज़रूरत है गुरु की कृपा की।
गुरु ही वह दीपक हैं जो अंधकार से उजाले की ओर ले जाते हैं। 🪔
2️⃣ गुरु का मार्गदर्शन – अंदर की ओर यात्रा 🧘♀️🧘♂️
गुरु हमारे भीतर छुपे ईश्वर को जगाते हैं।
वे हमें ध्यान, भक्ति, और साधना का मार्ग दिखाते हैं।
जब हम गुरु के निर्देश पर चलकर ध्यान करते हैं,
तब मन शांत होता है और आत्मा जागती है।
गुरु = GPS (Guru Positioning System)
जो हमें जीवन की सही दिशा दिखाते हैं!
3️⃣ सेवा और समर्पण – गुरु भक्ति का स्वरूप 🤲
गुरु की सेवा, उनके वचनों पर श्रद्धा,
और अपने अहं को उनके चरणों में समर्पित करना —
यही सच्चा शिष्य धर्म है।
“गुरु सेवा से बढ़कर कोई साधना नहीं।”
जब हम दूसरों की सेवा करते हैं,
तो गुरु के बताए रास्ते पर चलकर
ईश्वर से मिलन की राह पर अग्रसर होते हैं।
4️⃣ संगति और सत्संग – मन की खेती 🌱
गुरु हमें सिखाते हैं कि
जैसे बीज को उपजने के लिए सही मिट्टी चाहिए,
वैसे ही आत्मा को चाहिए सत्संग और सद्विचार।
सत्संग = आत्मा का पोषण
गुरु हमें संतों के संग, शास्त्रों की समझ और
सच्चे जीवन की दृष्टि प्रदान करते हैं।
✨ निष्कर्ष ✨
जीवन केवल सांसें गिनना नहीं है,
बल्कि हर सांस को ईश्वर की ओर मोड़ देना ही सच्चा जीवन है।
गुरु ही वह सेतु हैं
जो हमें भवसागर से पार कराते हैं।
तो आइए, आज ही संकल्प लें —
गुरु की शरण में जाएं, आत्मा को जागृत करें,
और जीवन को सचमुच “धन्य” बना दें!
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः
ॐ शांति शांति शांति ☮️