
“जो जाप बिना भी चलता है, वही है अजपा जाप!”
क्या आपको पता है कि आपकी हर सांस एक दिव्य मंत्र बोल रही है…
और आपको उसकी भनक भी नहीं है?
हर जीव के अंदर बिना बोले, बिना बोले गए, एक रहस्यमयी मंत्र हमेशा चलता रहता है…
उसी को कहते हैं — अजपा जाप।
अजपा जाप क्या है?
“अजपा” का अर्थ है — ऐसा जाप जिसे बोलना नहीं पड़ता, जो अपने आप होता है।
हमारी हर श्वास (सांस) के साथ दो ध्वनियाँ जुड़ी होती हैं:
श्वास अंदर जाती है तो – “सो…”
श्वास बाहर आती है तो – “हम…”
मिलकर बनता है — सोऽहम् (जिसका अर्थ है — “मैं वही हूँ”)
मतलब — मैं आत्मा हूँ, मैं ब्रह्म हूँ।
हर इंसान की सांसों में यह दिव्य मंत्र 24 घंटे चलता है —
बिना रोके, बिना रुके। यही है अजपा जाप!
अजपा जाप के लाभ
- आत्मचेतना का जागरण 🔱
→ “सोऽहम्” मंत्र से आत्मा और परमात्मा का संबंध गहरा होता है। - मन को शांति मिलती है 🧘♂️
→ सांसों पर ध्यान देने से विचारों का तूफान शांत होता है। - ऊर्जा (प्राण) का संतुलन होता है ⚡
→ शरीर और मन दोनों स्वस्थ और स्थिर हो जाते हैं। - ध्यान की गहराई बढ़ती है 🌌
→ धीरे-धीरे साधक समाधि की अवस्था के करीब पहुंचता है।
अजपा जाप कैसे करें?
- एक शांत जगह पर बैठें 🪷
→ सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं। - आँखें बंद करें, शरीर ढीला रखें 🫧
→ तनाव बिलकुल न रखें। - केवल सांसों को महसूस करें
→
जब श्वास अंदर आए तो मन में कहें — “सो”
जब श्वास बाहर जाए तो कहें — “हम”
- कोई प्रयास मत करें – बस साक्षी बनें
→ जैसे कोई देख रहा हो, बस ध्यानपूर्वक अनुभव करें। - रोज़ कम से कम 10 मिनट अभ्यास करें ⏱️
→ धीरे-धीरे ये जाप अपने आप चलने लगेगा।
गुरु का मार्गदर्शन क्यों ज़रूरी है? 🕉️
अजपा जाप बहुत सरल दिखता है,
लेकिन इसकी गहराई और ऊर्जा को समझना हर किसी के लिए आसान नहीं।
गुरु ही उस सूक्ष्म ध्वनि का रहस्य खोल सकते हैं जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है।
निष्कर्ष
जब हम “सोऽहम्” को सांसों में महसूस करते हैं,
तो भीतर से आवाज आती है —
“मैं शरीर नहीं, मैं आत्मा हूँ…”
यह जाप नहीं, यह जीवन का संगीत है…
यह मंत्र नहीं, यह परम सत्य की गूंज है…
हर सांस के साथ कहो —
सोऽहम्… सोऽहम्…
“मैं वही हूँ… जो सृष्टि के मूल में है!”