
⭐आज का सत्संग ⭐
🌹””सात्विक भोजन और नाम सिमरन का महत्व””🌹
✨ जैसा खाओ अन्न, वैसा बने मन ✨
💫⭐सतगुरु महाराज जी का यह अमूल्य वचन है कि अन्न का सीधा असर मन और विचारों पर पड़ता है। हम दिन में तीन बार भोजन तो करते हैं, परंतु नाम सिमरन और भजन का समय बहुत कम निकालते हैं। जो जीव सचमुच सतगुरु के चरणों में इस जन्म में लीन होना चाहता है, उसे सबसे पहले अपने भोजन पर संयम रखना चाहिए।🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🌹🌹
Time:29:43 {Bhojan}
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🌼🌸सात्विक भोजन –
शुद्ध, हल्का और पचने में सरल। इसमें फल, दूध, दही, अनाज, दालें, ताज़ी हरी सब्ज़ियां और मेवे आते हैं। यह मन को शांति देता है, विचारों को पवित्र करता है और भक्ति में स्थिरता लाता है।🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻
🪷🪷 यही भोजन साधक को सच्चे अर्थों में सिमरन व ध्यान में टिकाता है।🙏🏻🌹
🌼🌸राजसिक भोजन –
अत्यधिक मसालेदार, तैलीय और उत्तेजना बढ़ाने वाला। यह स्वादिष्ट तो लगता है पर मन को अस्थिर करता है और इच्छाओं व विकारों को बढ़ाता है।साधना में रुकावट डालता है।🙏🏻🌹
🌼🌸 तामसिक भोजन:
बासी, दुर्गंधयुक्त और मांस-मदिरा से युक्त। यह आलस्य, अज्ञान और नकारात्मकता को बढ़ावा देता है।🙏🏻🌹
💫⭐ ऐसे भोजन से साधक का पतन होता है और सतगुरु से दूरी बढ़ती है।
🌿 इसलिए साधक को चाहिए कि वह सात्विक भोजन पर टिके, भोजन केवल पेट भरने और शरीर को साधना योग्य बनाए रखने के लिए करे, न कि स्वाद और लालच में बहकर। जब अन्न सात्विक होगा तो मन सात्विक बनेगा, और सात्विक मन ही सतगुरु नाम में टिककर मुक्ति की राह पर आगे बढ़ेगा।🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻
“💫⭐भोजन पर संयम, मन पर नियंत्रण और नाम पर दृढ़ विश्वास – यही साधना का वास्तविक मार्ग है। जो इस मार्ग पर चलता है, वही सतगुरु की कृपा से जन्म-मरण से पार होकर उनके चरणों में लीन होता है।” 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय🙇♀️🌹🙇♀️🌹🙇♀️