
🪷ॐ श्री परमहंसाय नमः🪷
प्रीत सतगुरु सों करि, मिटा दे निज अहंकार।
ज्योति समर्पित होय जब, तबि मिले करतार।।🙇♀️🙏🏻🙇♀️🙏🏻🌹🌹🌹
💫⭐परमात्मा को पाने का मार्ग बाहर नहीं, भीतर है। उस मार्ग पर चलने के लिए आवश्यक है कि हमारी प्रीत दृढ़ और अटल हो। संसार का प्रेम तो स्वार्थ से बंधा है, परंतु सतगुरु और परमात्मा का प्रेम निस्वार्थ और शुद्ध होता है।🙏🏻🌹🙏🏻🌹
💫⭐जैसे पतंगा दीपक की लौ में आकर्षित होकर अपने प्राण अर्पित कर देता है, किंतु उसका अंत नहीं होता—वह स्वयं को मिटाकर उसी ज्योति में समा जाता है और ज्योतिर्मय हो जाता है। उसी प्रकार जब हम अपने सतगुरु की प्रीत में अहंकार, मोह, वासनाएँ और अपनी सीमाएँ मिटा देते हैं, तो हमारी आत्मा भी सतगुरु की दिव्य ज्योति में लीन होकर प्रकाशमय हो जाती है।🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
FILE:{NIRANTAR ABHYAAS}
TIME:30:04
💫⭐सच्चा प्रेम वही है जिसमें “मैं” का अस्तित्व समाप्त हो जाए। जब तक “मैं” जीवित है तब तक दूरी बनी रहती है, पर जैसे ही “मैं” मिट जाता है तो केवल “तू ही तू” रह जाता है। यही समर्पण, यही मिलन और यही सच्चा अध्यात्म है।🙏🏻🌹🙏🏻🌹
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय 🙇♀️🙏🏻🙇♀️🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹