
⭐आज का सत्संग ⭐
🌹”” ध्यान के साधन “”
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गुरुदेव जी फरमाते हैं
“”विषय-भोग निद्रा तजै, हँसी जगत सनेह।
सतगुरु भक्ति पंथ कहैं, मन रख संयम देह”“॥🙇♀️🙏🏻🙇♀️🙏🏻🙇♀️
💫⭐सतगुरु फरमाते हैं कि भक्ति मार्ग में आगे बढ़ने के लिए साधक को पाँच बातों से दूर रहना चाहिए—
🪷🪷 विषय-भोग – केवल संतति प्राप्ति तक ही विषय का प्रयोग होना चाहिए। उसमें अधिक लीन होना साधना में बाधा बनता है। उसी प्रकार जीभ के स्वाद के पीछे भागना भी उचित नहीं, क्योंकि बार-बार स्वाद की चाहत मन को अस्थिर कर देती है।
🪷🪷अत्यधिक निद्रा – जितनी शरीर को आवश्यकता है उतनी ही नींद लें, आलस्य और सुस्ती से साधक का समय व्यर्थ चला जाता है।🌹🌹🌹
🪷🪷अत्यधिक हँसी-ठिठोली – साधु का मन गंभीर और संयमित होना चाहिए। निरंतर हँसी-मज़ाक मन को चंचल और बिखरा देता है।🌹🌹🌹
💫⭐जगत प्रीति – संसार और उसके आकर्षण क्षणभंगुर हैं, इनसे अत्यधिक मोह साधक को प्रभु से दूर कर देता है।🌹🌹🌹
🪷🪷 मन पर असंयम – मन को लगाम न दी जाए तो यह बार-बार विषयों में उलझाता है।🌹🌹🌹
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✨ सतगुरु बताते हैं कि जो साधक इनसे बचकर संयम और भक्ति में लीन रहता है, वही वास्तव में प्रभु-प्रेम का अधिकारी बनता है। नारायण को न तो विषय-भोग प्रिय हैं और न आलस्य, उन्हें तो केवल निर्मल प्रेम और समर्पण चाहिए।🌹🌹🌹
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय🙇♀️🙇♀️🌹🌹🙏🏻🙏🏻