
एक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा…”चिट्ठी ले लीजिये।” ✉️
आवाज़ सुनते ही तुरंत अंदर से एक लड़की की आवाज गूंजी…” अभी आ रही हूँ…ठहरो।” 🗣️
लेकिन लगभग पांच मिनट तक जब कोई न आया तब डाकिये ने फिर कहा..”अरे भाई! कोई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लो…मुझें औऱ बहुत जगह जाना है..मैं ज्यादा देर इंतज़ार नहीं कर सकता….।” 😠
लड़की की फिर आवाज आई…,” डाकिया चाचा, अगर आपको जल्दी है तो दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए, मैं आ रही हूँ कुछ देर औऱ लगेगा।” 🕰️
“अब बूढ़े डाकिये ने झल्लाकर कहा,”नहीं, मैं खड़ा हूँ, रजिस्टर्ड चिट्ठी है, किसी का हस्ताक्षर भी चाहिये।” ✍️
तकरीबन दस मिनट बाद दरवाजा खुला। समय निकलता गया। ⏳
महीने, दो महीने में जब कभी उस लड़की के लिए कोई डाक आती, डाकिया एक आवाज देता और जब तक वह लड़की दरवाजे तक न आती तब तक इत्मीनान से डाकिया दरवाजे पर खड़ा रहता। 🧍♂️
धीरे धीरे दिनों के बीच मेलजोल और भावनात्मक लगाव बढ़ता गया। ❤️
एक दिन उस लड़की ने बहुत ग़ौर से डाकिये को देखा तो उसने पाया कि डाकिये के पैर में जूते नहीं हैं। वह हमेशा नंगे पैर ही डाक देने आता था। 👣
बरसात का मौसम आया। 🌧️
फिर एक दिन जब डाकिया डाक देकर चला गया, तब उस लड़की ने, जहां गीली मिट्टी में डाकिये के पाँव के निशान बने थे, उन पर काग़ज़ रख कर उन पाँवों का चित्र उतार लिया। 🖼️
अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाई से उस नाप के जूते मंगवाकर घर में रख लिए। 👟
जब दीपावली आने वाली थी उससे पहले डाकिये ने मुहल्ले के सब लोगों से त्योहार पर बकसीस चाही। 🙏
लेकिन छोटी लड़की के बारे में उसने सोचा कि बच्ची से क्या उपहार मांगना पर गली में आया हूँ तो उससे मिल ही लूँ। 🤔
साथ ही साथ डाकिया ये भी सोचने लगा कि त्योहार के समय छोटी बच्ची से खाली हाथ मिलना ठीक नहीं रहेगा। बहुत सोच विचार कर उसने लड़की के लिए पाँच रुपए के चॉकलेट ले लिए। 🍫
उसके बाद उसने लड़की के घर का दरवाजा खटखटाया। 🚪
अंदर से आवाज आई….” कौन?” 🗣️
” मैं हूं गुड़िया…तुम्हारा डाकिया चाचा “.. उत्तर मिला। 👨🦳
लड़की ने आकर दरवाजा खोला तो बूढ़े डाकिये ने उसे चॉकलेट थमा दी और कहा..” ले बेटी अपने ग़रीब चाचा के तरफ़ से “…. 🤗
लड़की बहुत खुश हो गई और उसने कुछ देर डाकिये को वहीं इंतजार करने के लिए कहा.. 😊
उसके बाद उसने अपने घर के एक कमरे से एक बड़ा सा डब्बा लाया और उसे डाकिये के हाथ में देते हुए कहा, ” चाचा..मेरी तरफ से दीपावली पर आपको यह भेंट है।” 🎁
डब्बा देखकर डाकिया बहुत आश्चर्य में पड़ गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे। 😲
डाकिये को यक़ीन नहीं हो रहा था कि एक छोटी सी लड़की उसके लिए इतना फ़िक्रमंद हो सकती है। 🥺
अगले दिन डाकिया अपने डाकघर पहुंचा और उसने पोस्टमास्टर से फरियाद की कि उसका तबादला फ़ौरन दूसरे इलाक़े में कर दिया जाए। 😢
पोस्टमास्टर ने जब इसका कारण पूछा, तो डाकिये ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और भीगी आँखों और रुंधे गले से कहा, ” सर..आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूँगा। उस छोटी अपाहिज बच्ची ने मेरे नंगे पाँवों को तो जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊँगा?” 😭💔