
⭐ आज का सत्संग⭐
पिंड ब्रह्माण्ड अगम, दयाल देश अपार।
सतगुरु कृपा बिना, न पार उतरे पार॥🙇♀️🌹🙇♀️🌹🙇♀️
मानव जीवन केवल खाने–पीने, कमाने–खर्च करने और फिर मृत्यु तक सीमित नहीं है। यह जीवन तो परमात्मा का दिया हुआ एक अमूल्य अवसर है। इसमें आत्मा को अपनी मूल जड़, अपने निज धाम तक लौटने का मार्ग मिला है।
Time;32:37 {Andar ki Awathayein}
🌹🌹🌹हमारे भीतर ही तीन लोक बसे हैं
🌼🌸पिंड देश – यह शरीर और सूक्ष्म लोक है। आत्मा यहाँ से यात्रा शुरू करती है।
🌼🌸ब्रह्माण्ड देश – यह अनगिनत लोकों और रहस्यों से भरा हुआ है। साधारण मनुष्य के लिए यह मार्ग अगम और अकल्पनीय है।
🌼🌸दयाल देश – यही आत्मा का असली घर है। वहाँ केवल प्रकाश है, शांति है और दयाल प्रभु का अमर दरबार है। वहीँ आत्मा सदा के लिए जन्म–मरण से मुक्त हो जाती है।
🌸🌸परंतु इन लोकों की यात्रा बिना सतगुरु की कृपा के असंभव है।
🌹जैसे अंधेरी रात में दीपक के बिना यात्री रास्ता नहीं पा सकता…
🌹 जैसे बिना नाव और नाविक के नदी पार करना नामुमकिन है…
🌹🌹वैसे ही आत्मा भी बिना सतगुरु के सहारे अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच सकती।
✨ सतगुरु ही वह दिव्य दीपक हैं जो भीतर के अंधकार को मिटाते हैं।
✨ सतगुरु ही वह करुणामय नाविक हैं जो आत्मा को जन्म–मरण की नदी से पार कराते हैं।
✨ सतगुरु ही वह दयाल सेतु हैं जिनके चरणों को पकड़कर आत्मा निज धाम तक पहुँच जाती है।
🌼💞 यदि निज धाम पाना है,अपने सतगुरु के धाम तक पहुंचना है तो सतगुरु के चरणों में दृढ़ प्रेम और विश्वास रखना होगा।
🌼💞उनका दिया हुआ नाम–सुमिरन ही वह कुंजी है जो पिंड–ब्रह्माण्ड के ताले खोलकर हमें दयाल देश में पहुँचा देता है।
💫 अंततः यही सत्य है –
“सतगुरु की कृपा ही आत्मा की सबसे बड़ी पूँजी है, और उन्हीं की रहमत से आत्मा अपने प्रियतम निजधाम में पहुँच सकती है।”
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय🙇♀️🙇♀️🌹🙇♀️🌹🙇♀️🙏🏻🌹🙏🏻🌹