
🌟आज का सत्संग 🌟
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🪷 ॐ श्री परमहंसाय नमः 🪷🙇🏼♀️🙏🏻🌹🍁🥀💕💫💞
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“जीव है बूंद, परम सागर,
सतगुरु कृपा से मिले आधार।
लगन और प्रेम से जब हो मिलन,
बूंद बने सागर, आत्मा बने भगवान।“
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🙏🏻🌹गुरुमुखों श्री परमहंस अमर ज्योति ग्रन्थ में हमारे श्री चतुर्थ पादशाही गुरु महाराज जी फरमाते है की हम जीव उस परमात्मा का अंश हैं!🙇♀️🙏🏻🌹🙏🏻🌹
💫जीव का असली स्वरूप आत्मा है, और आत्मा स्वयं परमात्मा का अंश है। जैसे एक छोटी-सी बूंद सागर का अंश होती है, उसी प्रकार जीव भी उस परमसागर का ही अंश है।
💫🌹जब तक बूंद सागर से अलग रहती है, तब तक वह अलग-अलग रूपों में प्रकट होती है – कहीं भाप बनकर आकाश में उड़ती है, कहीं हिम बनकर कठोर हो जाती है, कहीं नाले और झरने का रूप ले लेती है। वह अलग होते हुए भी अपनी मूल सत्ता से दूर और अधूरी रहती है।🙏🏻🌹🙏🏻🌹
🙏🏻🌹लेकिन जब वही बूंद फिर से सागर में जाकर मिल जाती है, तो उसकी अलग पहचान समाप्त हो जाती है और वह स्वयं सागर ही बन जाती है।
🙏🏻🌹इसी प्रकार जीव भी जब तक परमात्मा से अलग रहता है, तब तक वह संसार की इच्छाओं, दुख-सुख और जन्म-मरण के चक्र में भटकता रहता है। वह कभी सुख का अनुभव करता है, कभी दुख का, कभी अहंकार में
डूब जाता है, तो कभी असहायता में रोता है।
✨ परंतु जब जीव सतगुरु की कृपा से परमात्मा में लीन हो जाता है, तब उसकी अलग सत्ता नहीं रहती। वह परमात्मा ही हो जाता है। तब उसके भीतर न कोई भय रहता है, न मोह, न लोभ, न अहंकार। केवल शांति, प्रेम और दिव्य आनंद की धारा प्रवाहित होने लगती है।🌹🙏🏻🌹🙏🏻
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File;{KAAM SE MUKTI}
💫जीव परमात्मा से अलग होकर अधूरा है, उसकी स्थिति बूंद की तरह है जो सागर से अलग हो गई हो।🙏🏻🌹🙏🏻🌹
💫उसकी पूर्णता केवल परमात्मा में मिल जाने से ही संभव है।🧘🏻♀️🧘🏻🧘🏻♀️🧘🏻
💫⭐यह मिलन किसी बाहरी साधन से नहीं, बल्कि सतगुरु की शरण, भक्ति और नाम-स्मरण से होता है।💫⭐
🙏🏻हमारे परम आराध्य सतगुरु ही वह सेतु हैं जो जीव को उसके परमात्मा तक पहुँचा देते हैं।🙇♀️🙇♀️🙇♀️
💫हम सब के लिए आवश्यक है कि वह अपने सतगुरु और परमात्मा से मिलने की प्रबल लगन और गहरा प्रेम अपने हृदय में उत्पन्न करे। क्योंकि लगन और प्रेम ही वह शक्ति है जो आत्मा को ऊँचाइयों तक ले जाती है और अंततः परमात्मा से मिला देती है।🙇♀️🙏🏻🌹
बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय 🙇♀️🙏🏻🙇♀️🙏🏻🙇♀️