
गुरु का सान्निध्य यानी परम शांति की अनुभूति।
जहाँ शब्द मौन बन जाते हैं और आत्मा बोलने लगती है।
जब मन भटकता है, तो गुरु एक दीपक की तरह उसे प्रकाश देता है।
🪔💫
इस जीवन में सब कुछ बदल सकता है — रिश्ते, समय, हालात…
पर एक रिश्ता अडोल और शाश्वत होता है — शिष्य और गुरु का।
गुरु वो नहीं जो केवल ज्ञान देता है,
गुरु वो है जो तुम्हें स्वयं से मिलाता है।
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गुरु भक्ति का अर्थ केवल चरणों में झुकना नहीं,
बल्कि मन, कर्म, और प्राण से उनकी आज्ञा में रहना है।
गुरु कहते हैं —
“बाहर मुझे मत ढूंढो, मैं तुम्हारे भीतर हूं।”
❤️🔥🙏
गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण ही सच्ची भक्ति है।
जब शिष्य अपने ‘मैं’ को मिटा देता है,
तब गुरु उसमें परमात्मा का बीज रोपित करता है।
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गुरु भक्ति से मिलती है —
✓ जीवन में स्थिरता 🧘♀️
✓ प्रेम में गहराई ❤️
✓ आत्मा में तेज़स्विता 🔥
✓ और अंततः — मोक्ष का द्वार खुलता है 🚪✨
आइए, इस जीवन को गुरु चरणों में समर्पित करें।
उनके हर वचन को अपना मार्गदर्शक बनाएं।
और हर श्वास में ये गूंजता रहे —
“गुरु ही मेरा देव हैं, गुरु ही मेरा धाम।
गुरु के चरणों में बस जाए मेरा पूरा जीवन-प्राण।”
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