
“गुरुकृपा हि केवलम शिष्य परममंगलम”
केवल Guru Kripa से ही शिष्य का परम मंगल, अर्थात आध्यात्मिक उन्नति होती है। Prabhu Prapti, मनोलय तथा बुद्धिलय साध्य करना, Satguru Kripa बिना सम्भव नहीं है। Guru Maharaj Ji की कृपा के अतिरिक्त किसी भी साधना मार्ग से मनोदेह, कारणदेह तथा महाकारण देह की शुद्धि पूर्णतः कर पाना सम्भव नहीं है। साथ ही इन सभी मार्गों में मोक्ष (मुक्ति का अंतिम शिखर) प्रदान करने की क्षमता नहीं है। Karma Yoga, Jnana Yoga, Bhakti Yoga जैसे साधना मार्ग शिष्य के जीवन में केवल Shri Paramhans Satguru Teachings के माध्यम से Guru Bhakti प्राप्त करने तक ही महत्त्व रखते हैं। Self Awakening Mission में गुरुकृपा का मार्ग ही सबसे महत्वपूर्ण है।
गुरु-कृपा का वास्तविक अर्थ
बहुत से लोग समझते हैं कि पैसा, आलीशान घर, महंगी गाड़ियां और धन-दौलत Satguru Kripa है, लेकिन वास्तव में Guru Kripa इससे कहीं अधिक गहरी होती है।
- इस जीवन में अनेक संकट और विपदाएं जो हमारी जानकारी के बिना ही गायब हो जाती हैं, वह Guru Kripa है।
- कभी-कभी सफ़र के दौरान भीड़ वाली जगह में धक्का-मुक्की के बावजूद हम किसी तरह से गिरते-गिरते बच जाते हैं और संतुलन बना लेते हैं। वह संतुलन जिसने हमें गिरने से बचाया, वह Guru Maharaj Ji की कृपा है।
- जब कभी एक समय का भोजन भी मिलना मुश्किल हो, फिर भी हमें पेट भर खाने को मिले, वह Satguru Kripa है।
- जब आप अनेक मुश्किलों के बोझ तले दबे हों, फिर भी आप इनका सामना करने का सामर्थ्य महसूस करें, वह सामर्थ्य Guru Bhakti का प्रभाव है।
- जब आप बिल्कुल हार मानने ही वाले हों और ये सोच लें कि अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है, तभी, उसी क्षण, आपको आशा की एक किरण दिखाई देने लगे और आप फिर से संघर्ष के लिए तैयार हो जाएं, वह आशा Shri Paramhans Satguru Ji की कृपा है।
- जब विपत्ति के समय आपके सभी सगे-संबंधी आपको अकेला छोड़ दें, और एक Guru Bandhu (कोई मित्र या गुरु को मानने वाला भाई-बहन) आए और आपसे कहे- “तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।”, तो उस गुरु-बंधु के हिम्मत देने वाले शब्द Guru Maharaj Ji की कृपा है।
- जब आप कामयाबी के शिखर पर हों, पैसा और ख़ुशियां भरपूर हों, उस वक़्त भी आप स्वयं को ज़मीन से जुड़ा और विनम्र महसूस करें, वह Guru Kripa है।
सच्ची गुरु-कृपा क्या है?
केवल धन, ऐश्वर्य और सफलता का होना ही गुरु-कृपा नहीं है। लेकिन जब आपके पास ये चीज़ें न हों, फिर भी आप ख़ुशी, संतुष्टि और स्वयं को धन्य महसूस करें, वह Shri Paramhans Satguru Ji की कृपा है।
“करता करे न कर सके, गुरु कर सो जान। तीन लोक नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा न कोय।”
Gurudev of Sanjiv Malik, Shri Paramhans Satguru Ji भी अपने शिष्यों पर ऐसे ही कृपा करते रहते हैं। उनके मार्गदर्शन में शिष्य का जीवन केवल सफलता की ओर नहीं, बल्कि परम आनंद और आत्मिक शांति की ओर अग्रसर होता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम पूर्ण समर्पण के साथ Guru Bhakti को अपनाएं और Self Awakening Mission में अपने जीवन को धन्य बनाएं।
“गुरुकृपा ही केवलम” 🙏