
🌸 गुरुमुख की दिनचर्या
गुरुमुखों एक गुरुमुख का जीवन कोई साधारण जीवन नहीं होता। वह हर पल अपने सतगुरु की छवि को अपने हृदय में सजाए रहता है।
✨ अमृतवेले उठकर, जब सारी सृष्टि शांत होती है, गुरुमुख अपने प्रभु और सतगुरु का नाम जपता है। उस पवित्र बेला में उसकी आत्मा जैसे प्रभु से संवाद करती है। यही उसकी सच्ची ऊर्जा है, यही उसकी जीवन का अमृत है।
✨ दिनभर वह किसी की निंदा, दोषारोपण या बुराई से स्वयं को बचाता है। उसकी वाणी से केवल मधुरता, दया और सच्चाई ही प्रकट होती है। क्योंकि वह जानता है – दूसरों की बुराई करना, अपने ही सतगुरु की बुराई करने के समान है।
✨ उसका भोजन भी सादा और सात्विक होता है। न कोई विलासिता, न कोई अधिकता – क्योंकि वह जानता है कि पवित्र तन से ही पवित्र मन और भक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
✨ वह आलस्य और प्रमाद से भी दूर रहता है। नींद उतनी ही लेता है, जितनी शरीर के लिए आवश्यक हो। शेष समय वह प्रभु-स्मरण और सेवा में लगाता है।
✨ और जब रात का अंधकार छा जाता है, तब गुरुमुख अपने दिन का समापन भी सतगुरु के नाम और सत्संग से करता है। सोने से पहले कुछ क्षण नाम-जाप में डूबकर वह अपनी आत्मा को शांति प्रदान करता है।
🌷 यही है गुरुमुख की सच्ची दिनचर्या – हर श्वास गुरु को समर्पित, हर कर्म गुरु के नाम पर।
सच्चा गुरुमुख वही है, जिसका जीवन स्वयं सत्संग बन जाए और जिसकी वाणी, दृष्टि और कर्म सब में गुरु की महिमा झलकती रहे। 🌷
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