
हमें ईश्वर से प्रभु के अलावा और कुछ भी नहीं मांगना चाहिए। ईश्वर से सत्य का ज्ञान मांगना चाहिए।उनके सद्गुण और विशेषता को ग्रहण करना चाहिए।
ईश्वर से उनका सानिध्य मांगना चाहिए,प्रेम और आशीर्वाद मांगना चाहिए। ईश्वर से बुद्धि, विवेक, और ज्ञान मांगना चाहिए। उनसे सुख-शांति मांगना चाहिए।
ईश्वर से हर काम-धंधा ईमानदारी से करने की प्रेरणा मांगनी चाहिए।
ईश्वर से संतुष्टि मांगनी चाहिए।ईश्वर से माफ़ी मांगनी चाहिए।
ईश्वर से संसार के रिश्तों से बढ़कर उनसे प्रेम करने की प्रेरणा मांगनी चाहिए।
ईश्वर से कमजोर,लाचार जीवों के प्रति दया और करुणा का भाव मांगना चाहिए। निष्काम सेवा का भाव मांगना चाहिए। ईश्वर से आत्मज्ञान मांगना चाहिए। ईश्वर के दिव्य गुणों को मांगना चाहिए और स्वयं ईश्वर स्वरूप बन जाए ऐसी मांग रखनी चाहिए।
अगर प्रार्थना का मतलब कुछ मांगना है, तो तभी करनी चाहिए जब आप कोशिश करके भी सफल नहीं हो पा रहे हों।अगर जीवन सरलता से चल रहा है, तो धन्यवाद और शुक्रियाना करना चाहिए। उज्ज्वल भविष्य के लिए भी हमेशा प्रार्थना करनी चाहिए।
ईश्वर से क्या नहीं मांगना चाहिए
धन, संपत्ति, या भौतिक सुख-सुविधाएं जो क्षणिक होती हैं, बल्कि हमें ईश्वर से ज्ञान, प्रेम और मार्गदर्शन मांगना चाहिए।प्रार्थना करते समय मन में लालच या लोभ की भावना नहीं होनी चाहिए, बल्कि हमें ईश्वर से सच्ची श्रद्धा और समर्पण से प्रार्थना करनी चाहिए।
हमें ईश्वर से ऐसी चीजें नहीं मांगनी चाहिए जो दूसरों के लिए हानिकारक हों या अन्यायपूर्ण हों।हमें ईश्वर से अपनी इच्छाओं के अनुसार नहीं मांगना चाहिए, बल्कि हमें उनकी इच्छा को स्वीकार करना चाहिए और उनकी राह पर चलना चाहिए।हमें ईश्वर से प्रार्थना करते समय अहंकार नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें विनम्रता और समर्पण के साथ प्रार्थना करनी चाहिए।
हमें भी अपने परमहंस प्रभु जी से भक्ति ,प्रेम और सेवा का दान मांगना चाहिए। उनके श्री चरणों में स्थान मांगना चाहिए।
भक्ति दान गुरु दीजिए
गुरु देवन के देव
और कछु नहीं चाहिए
निश दिन तुमरी सेव