
अंजलि की चमत्कारी यात्रा

कैसे व्यक्ति ईश्वर के बेहद क़रीब होते हैं?
संतो महापुरुषों से प्रेम रखने वाले व्यक्ति। बड़ों का आदर करने वाले, पराई स्त्री को माता भगीनी समान मानने वाले व्यक्ति, खुद को सबका सेवक समझने वाले, सेवाभावी वृत्ति के विनम्र, विनयशील लोग ईश्वर को प्रिय होते है।
शुद्ध अन्तःकरण वाले मनुष्य, भेदभाव रहित, छल कपट रहित, सरल मन के मनुष्य, कमाल के विनम्र और निरंहंकारी मनुष्य। निर्विकार, काम क्रोध लोभ से परे के लोग ईश्वर को प्रिय होते हैं।
कम खाने पीने वाले मनुष्य, कम बोलने वाले अतर्मुख मनुष्य, और ऐसे और भी बहुत से सादे सरल मनभाव के लोग होते हैं, जीनपर प्रभू कृपा बरसती है।
परमात्मा केवल पूजा-पाठ या व्रत उपवास से प्रसन्न नहीं होते, परमात्मा की कृपा बरसने के लिए उनकी पूजा प्रार्थना के साथ साथ ऐसे बहुत-से दिव्य गुण भीतर होने आवश्यक है।
ऐसे दयालु लोग महापुरुषों से बेहद का प्रेम रखते है और फिर उनके अच्छे व्यवहार से वे महापुरुषों दिल जीत लेते हैं। और परमात्मा तो पहले से ही उनके होते ही है। और इसलिए ही महापुरुषों के संपर्क में आते ही, उन्हें परमात्मा के दिव्य अनुभव आने लगते हैं। थोड़ी सी साधना करने पर उन्हें परमात्मा की अनुभूतियां होती है।
परमात्मा निर्विकार वृत्ति, सरल मनभाव, सेवाभावी वृत्ति, विनम्रता अंतर्मुखता, समाधानी वृत्ति, हर हाल में प्रसन्न रहने का स्वभाव, धन्यवाद भाव पसंद करते हैं, परमात्मा चालाकियां पसंद नहीं करते।