
ॐ श्री परमहंसाय नमः
ॐ श्री परमहंसाय नमः मंत्र एक महामंत्र है जिसमें सभी परमहंसों की ताकत विद्यमान है। यह मंत्र संजीव मलिक सर के गुरुदेव अर्थात हम सबके गुरु देव जो कि इस दुनिया के तारणहार है, उन्होंने दिया है और फरमाया है कि जो भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप करेगा उसका कल्याण निश्चित है। उन्हें जितने भी परमहंस गुरु देव हैं सभी की कृपा प्राप्त होगी।
तो चलिए सबसे पहले परमहंसों का अर्थ समझते हैं।
परमहंस:
सबसे पहले, यह समझना ज़रूरी है कि परमहंस कौन होते हैं। “परमहंस” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “सर्वोच्च हंस”। आध्यात्मिक परंपरा में, यह उन उन्नत आत्माओं के लिए एक उपाधि है जिन्होंने आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर लिया है और जो सांसारिक बंधनों और द्वैत से ऊपर उठ चुके हैं। वे शुद्ध चेतना में स्थित होते हैं और जिनका जीवन दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित होता है।
कृपा का अर्थ:
“कृपा” का अर्थ है दया, अनुग्रह, आशीर्वाद या करुणा। यह एक ऐसी शक्ति है जो बिना किसी शर्त के प्रदान की जाती है और जो प्राप्तकर्ता के आध्यात्मिक विकास और कल्याण में सहायक होती है।
परमहंसों की कृपा:
परमहंसों की कृपा कोई भौतिक वस्तु नहीं है जिसे दिया या लिया जा सके। यह उनकी उच्च चेतना, उनकी दिव्य ऊर्जा और उनके निस्वार्थ प्रेम का एक सूक्ष्म प्रवाह है जो उन लोगों तक पहुँचता है जो इसके लिए खुले और ग्रहणशील होते हैं।
परमहंसों की कृपा कई तरह से प्रकट हो सकती है:
- आंतरिक मार्गदर्शन: उनकी कृपा से साधक को आंतरिक प्रेरणा, अंतर्दृष्टि और सही मार्ग का बोध हो सकता है। यह एक शांत आवाज या एक सहज ज्ञान के रूप में प्रकट हो सकता है जो जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में मार्गदर्शन करता है।
- ऊर्जा का संचार: परमहंस अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को दूसरों तक पहुँचा सकते हैं, जिससे उनके मन और शरीर में शांति, शक्ति और सकारात्मकता का अनुभव हो सकता है। यह उनके सान्निध्य में रहने से या उनके आशीर्वाद से हो सकता है।
- बाधाओं का निवारण: उनकी कृपा से साधक के आध्यात्मिक पथ में आने वाली बाधाएँ और कठिनाइयाँ दूर हो सकती हैं। यह अप्रत्याशित रूप से समस्याओं का समाधान होने या चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलने के रूप में अनुभव हो सकता है।
- आध्यात्मिक विकास में सहायता: परमहंसों की कृपा साधक के आध्यात्मिक विकास को गति प्रदान करती है। यह उन्हें अपनी आंतरिक क्षमता को पहचानने, अहंकार को कम करने और परमात्मा के साथ अपने संबंध को गहरा करने में मदद करती है।
- प्रेम और करुणा का अनुभव: उनकी कृपा से व्यक्ति को निस्वार्थ प्रेम और गहरी करुणा का अनुभव हो सकता है, जिससे उसका हृदय दूसरों के प्रति अधिक संवेदनशील और उदार बनता है।
- शांति और आनंद की अनुभूति: परमहंसों की कृपा मन को शांत करती है और आंतरिक आनंद की अनुभूति कराती है। उनके संपर्क में आने से व्यक्ति सांसारिक चिंताओं से मुक्त होकर शांति और संतोष का अनुभव कर सकता है।
कैसे प्राप्त करें:
परमहंसों की कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं: - श्रद्धा और विश्वास: उनके प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास रखना उनकी कृपा को आकर्षित करने में सहायक होता है।
- खुला हृदय: अपने हृदय को उनके प्रेम और आशीर्वाद को ग्रहण करने के लिए खुला रखना आवश्यक है।
- आध्यात्मिक अभ्यास: नियमित रूप से ध्यान, प्रार्थना और अन्य आध्यात्मिक अभ्यासों में संलग्न रहना आंतरिक ग्रहणशीलता को बढ़ाता है।
- सेवा और समर्पण: निस्वार्थ सेवा और समर्पण का भाव भी उनकी कृपा को आकर्षित करता है।
- उनकी शिक्षाओं का पालन: उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन का पालन करना उनके साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में मदद करता है।
संक्षेप में, परमहंसों की कृपा एक दिव्य अनुग्रह है जो साधक के आध्यात्मिक जीवन को रूपांतरित कर सकती है, उसे आंतरिक शांति, मार्गदर्शन और परमात्मा की ओर ले जा सकती है। यह एक अनमोल आशीर्वाद है जो श्रद्धा, विश्वास और समर्पण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
जहां संसार इतनी पीड़ा झेल रहा है, शारीरिक मानसिक अस्तर पर इतने कष्टों का सामना कर रहा है वही संजीव मलिक सर ने श्री परमहंस दयाल जी द्वारा दिए गए मंत्र को दुनिया के आगे लाकर सभी की इनकी कृपा प्राप्त करवा रहे हैं।
संजीव मलिक जी जो कि परमहंस गुरु हैं देव जी से डायरेक्ट जुड़े है, और उनके निर्देशानुसार लोगों को ॐ श्री परमहंसाय नमः मंत्र का शक्तिपात दे रहे हैं ताकि उनकी आत्मा का कल्याण हो सके तो आप खुद भी इस मंत्र का जाप करें और कशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ पाए ताकि उनकी आत्मा के कल्याण का माध्यम आप बन सकें।
ज्यादा जानकारी के लिए यह वीडियो जरूर देखें।