
✨ॐ श्री परमहंसाय नमः ✨
भूमिका:
कभी-कभी शब्द कम पड़ जाते हैं… और मौन सब कुछ कह देता है। ऐसे ही मौन में बसी होती है परमहंस सतगुरु की उपस्थिति — वह दिव्य चेतना, जो अंधकार में ज्योति बनकर हमारे अंतरतम को छूती है।
“ॐ श्री परमहंसाय नमः” कोई साधारण मंत्र नहीं, यह आत्मा का परमात्मा से मिलने का पुल है। यह समर्पण है, श्रद्धा है, और उस मार्ग की कुंजी है जहाँ गुरु स्वयं भगवान बन जाते हैं।
परमहंस — जो स्वयं ब्रह्मस्वरूप हैं
‘परमहंस’ शब्द ही अपने भीतर एक रहस्य समेटे है:
परम यानी सर्वोच्च
हंस यानी आत्मा 🕊️
परमहंस वह होते हैं जो आत्मा को परमात्मा में विलीन कर चुके हैं। वे संसार में रहते हुए भी उससे परे होते हैं। उनका हर कार्य, हर शब्द, हर मौन — एक दिव्य सन्देश बन जाता है।
सतगुरु — वह दीपक जो कभी बुझता नहीं 🪔
जब जीवन में रास्ता न दिखे, जब मन बिखर जाए, जब आत्मा प्रश्नों से थक जाए — तब सतगुरु प्रकट होते हैं।
वे केवल एक मार्गदर्शक नहीं होते, वे वह दर्पण होते हैं जिसमें हम अपने असली स्वरूप को देख सकते हैं।
उनकी विशेषताएँ:
शून्यता में पूर्णता: वे स्वयं को कुछ नहीं मानते, इसलिए सब कुछ हो जाते हैं।
नजरें नहीं, दृष्टि बदलते हैं: वे भविष्य नहीं बताते, बल्कि दृष्टिकोण बदलते हैं 🔮
प्रेम जो शर्तों से मुक्त हो: उनका प्रेम आत्मा को स्पर्श करता है ❤️🔥
कर्मों के बंधन को मोड़ने की शक्ति: वे भाग्य नहीं बदलते, पर आत्मा का मार्ग प्रशस्त कर देते हैं ♾️
परमहंस की संगति — एक अंतहीन आशीर्वाद
जिस प्रकार चंदन के पास जाकर हवा भी सुगंधित हो जाती है, उसी तरह सतगुरु की उपस्थिति में शिष्य के विकार पिघलने लगते हैं ❄️।
उनकी मौन दृष्टि से मन शांत हो जाता है, और अंतर्मन में एक नवीन प्रकाश जन्म लेता है ✨।
“ॐ श्री परमहंसाय नमः” — मंत्र नहीं, एक जीवित स्पंदन है
यह मंत्र केवल जपने के लिए नहीं, जीने के लिए है।
यह आत्मा को गुरु से जोड़ता है, और गुरु के माध्यम से ब्रह्म से।
नित्य जप करने से —
चित्त शांत होता है
विचार शुद्ध होते हैं
और अंततः आत्मा को मार्गदर्शन प्राप्त होता है
यह मंत्र हमें बार-बार याद दिलाता है कि —
गुरु कोई बाहर नहीं, भीतर का द्वार खोलने वाला अनुभव है।
उपसंहार:
शब्द कभी सतगुरु की महिमा को बाँध नहीं सकते…
वे तो केवल संकेत दे सकते हैं उस अदृश्य प्रेम, उस मौन शक्ति, और उस आशीर्वाद की जो परमहंस के श्रीचरणों से प्रवाहित होती है।
उनकी शरण में जाना ही मोक्ष का प्रथम चरण है।
ॐ श्री परमहंसाय नमः