
हम संसार में जब भी कोई थोड़ा भी हमारे लिए अच्छा करता है – जैसे कोई पर्स उठाकर दे दे, रास्ता दिखा दे, या मुश्किल में मदद कर दे – तो हम तुरंत “थैंक यू” कह देते हैं। हम बार-बार उस इंसान को धन्यवाद देते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि उसने हमारे लिए कुछ बहुत बड़ा किया है।
लेकिन ज़रा सोचिए, उस परमपिता, उस परमात्मा ने हमारे लिए कितना कुछ कर रखा है – क्या हम उसके प्रति भी वैसी ही कृतज्ञता महसूस करते हैं?
🌅 सुबह से लेकर रात तक, 24 घंटे – उसने हमारे जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए हवा दी, पानी दिया, सूर्य का प्रकाश दिया, फल, फूल, फसलें दीं। इस धरती पर जीवन के लिए हर ज़रूरी चीज़ सहजता से उपलब्ध है – और यह सब बिना किसी शर्त के हमें मिल रहा है। फिर भी हम उस परमात्मा के प्रति शुक्राणा नहीं करते।
🙏 एक छोटी सी कहानी, एक बड़ी सीख
हमारे सतगुरुदेव के पास एक व्यक्ति दर्शन करने आए। उन्हें शुगर यानी डायबिटीज़ की बीमारी थी और वे बहुत दुखी थे। जब वे गुरुदेव के चरणों में पहुंचे, तो गुरुदेव ने प्रेमपूर्वक उनसे पूछा – “क्या हाल है?”
व्यक्ति ने शिकायत करते हुए कहा,
“गुरुदेव, बहुत तकलीफ़ है, शुगर की बीमारी है, कुछ मीठा नहीं खा सकते। इसके कारण कई और बीमारियाँ भी आ जाती हैं।”
गुरुदेव मुस्कराए और बोले,
“क्या कहा तुमने? शुगर है? अच्छा… शुकर है… शुकर है… शुक्र है… शुक्र है…”
गुरुदेव ने “शुगर” को “शुक्र” में बदल दिया – “शुक्र है उस मालिक का, जिसने तुम्हें जीवन दिया, शरीर दिया, बोलने की शक्ति दी, चलने की शक्ति दी।”
गुरुदेव के इन वचनों का उस व्यक्ति पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि कुछ महीनों में उसकी शुगर की बीमारी भी ठीक होने लगी। उसने खुद बाद में कहा –
“मेरा ब्लड शुगर लेवल जो 350+ था, अब नॉर्मल हो चुका है।”
🌟 सीख क्या है?
जब हम अपने दुखों को बहुत बड़ा मानने लगते हैं, तो हम भूल जाते हैं कि हमारे जीवन में कितनी सारी चीजें पहले से ही बहुत सुंदर हैं। गुरुदेव हमें यह सिखाते हैं कि हम अपने दुखों को ना गिनें, बल्कि अपने आशीर्वादों को याद करें।
यदि जीवन में कोई तकलीफ है, तो वह हमारे अपने कर्मों का परिणाम है। हमें तो यह कहना चाहिए –
“हे प्रभु, मेरी बीमारियाँ चाहे जितनी भी हों, लेकिन मेरा परमात्मा उनसे कहीं बड़ा है। मेरा गुरु उनसे कहीं महान है।”
💫 शुक्राणे का मार्ग ही मुक्ति का मार्ग है
जब हम अपने मन में सच्चा शुक्राणा भर लेते हैं, जब हर पल अपने प्रभु को धन्यवाद देते हैं –
- तो शिकायतें मिट जाती हैं,
- मन हल्का हो जाता है,
- और एक विशेष दिव्यता जीवन में प्रवेश करती है।
गुरुदेव कहते हैं –
“महिमा गाओ, सिमरन करो, प्रभु का नाम लो।”
नाम जप ही हमें दुखों के पार ले जाने वाला सेतु है।
✨ निष्कर्ष
हर सुबह, हर साँस, हर अनुभव – प्रभु का उपहार है।
तो क्यों न हम “शुगर” को “शुक्र” में बदल दें?
क्यों न हर परिस्थिति में कहें –
“शुक्र है प्रभु, आपका अनंत धन्यवाद।”
बोलो जयकारा! बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय! 🌺🙏
🪔 एक छोटा अभ्यास करें:
हर दिन कम से कम 3 चीज़ों के लिए शुक्राणा व्यक्त करें –
- अपने शरीर के लिए
- अपने परिवार के लिए
- और उस अदृश्य प्रेम के लिए, जो आपको हर पल संभाले हुए है।
🕉️✨ “शुक्र है प्रभु… आपके बिना ये जीवन अधूरा होता…” ✨🕉️