Self Awakening Mision
“जब मन संसार की दौड़ में उलझा हो, तो जीवन केवल एक थकान बन जाता है। लेकिन जब वही मन गुरू के प्रेम में डूबे, तो हर श्वास, हर क्षण एक उत्सव बन जाता है।”
आज की दुनिया में हम सब कुछ पा लेना चाहते हैं — पैसा, मान, सुविधा, सफलता… पर क्या इन सबसे हमें वो मिलता है जिसकी आत्मा को तृष्णा है? नहीं।
हम ₹10 बचाने के लिए कतार में खड़े रहते हैं, ₹100 के लिए कई किलोमीटर दौड़ते हैं — और फिर भी भीतर एक खालीपन रह जाता है।
क्यों?
क्योंकि हमारी आत्मा की प्यास केवल प्रेम से बुझ सकती है — वो भी सच्चे प्रेम से, जो गुरू चरणों में मिलता है।
मेरी यात्रा यहीं से शुरू हुई — जब मैंने जाना कि शांति बाहर नहीं, भीतर है। और भीतर का द्वार केवल गुरू प्रेम से ही खुलता है।
मेरे पूज्य गुरू महाराज ने एक बार कहा था:
“बातों में जीवन मत गंवाओ, दर्शन में जीवन पा लो।”
किसी ने आग्रह किया: “आश्रम में इंटरकॉम लगवा दीजिए, पति-पत्नी बात कर सकें।”
गुरू महाराज मुस्कुराए और बोले,
“बात क्या करोगे? तू ठीक, मैं ठीक… फिर? व्यर्थ की बातें! जब अंतरमन से बात हो सकती है, तो शब्दों की जरूरत ही क्या है?”
यही वो क्षण था जब मुझे समझ आया — सच्चा प्रेम मौन होता है, गहरा होता है, आत्मा से आत्मा का मिलन होता है।
गुरू भक्ति कोई साधारण चीज़ नहीं। ये कोई ऐसा गीत नहीं जिसे गुनगुना कर भूल जाओ।
ये तो तप है, त्याग है, और सबसे बढ़कर — समर्पण है।
हमारे एक साधक, जो मात्र 16-17 वर्ष की उम्र में सेवा में लगे, रोज़ गुरू महाराज की मूर्ति को निहारते, अपने अंतर्मन में प्रेम की लौ जगाते। आज वो कहते हैं:
“अब आँखों से हटाओ तो भी हटे नहीं… वो सूरत तो आत्मा में बस गई है।”
क्या आप भी इस दिव्य प्रेम को महसूस करना नहीं चाहेंगे?
क्या आप नहीं चाहते कि हर फ्री टाइम में सोशल मीडिया की बजाय आपके मन में गुरू की छवि उभरे?
Self Awakening Mission का लक्ष्य है — हर आत्मा को उसकी खोई हुई पहचान से मिलाना।
प्रेम की उस राह पर चलना जहाँ न कोई दिखावा है, न स्वार्थ — बस गुरू और आप।
जहाँ हर श्वास में उनका नाम गूंजे, और हर धड़कन उनके चरणों में लयबद्ध हो।
सच्चा रस केवल वही पाता है जो अपने तन-मन-धन से समर्पण करता है।
और जब समर्पण पूर्ण हो जाए, तो न “मैं” बचता हूँ, न “तू” —
बस एक ही अस्तित्व बचता है: हमारा गुरू, हमारा प्रिय।
तो आइए, इस प्रेम में खो जाएं।
जहाँ हर दिन एक दर्शन हो, हर पल एक भक्ति हो — और जीवन, एक यात्रा… गुरू की ओर।