
- होगा वही जो निश्चित है
जीवन में जितनी भी उलझनें आती हैं, उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है। होगा वही जो पहले से निश्चित है। सोच-सोचकर डरने या चिंता करने से कुछ बदलता नहीं। इसलिए अपने मन को बार-बार ईश्वर का नाम दोहराने में लगाओ।
- निराशा क्यों?
निराश होने के लिए तो मनुष्य शरीर नहीं मिला। हम पशु नहीं हैं कि केवल दुख में दब जाएं। हर कष्ट को सहने और हर दर्द को जीतने की शक्ति हमारे अंदर है क्योंकि हम भगवान के अंश हैं।
- उत्साह ही लक्ष्मी है
एक उत्साही और साहसी इंसान कभी हारता नहीं। निराश व्यक्ति कितना भी बलवान क्यों न हो, काम का नहीं रह जाता।
👉 “जहाँ उत्साह है, वहाँ लक्ष्मी स्वयं आ जाती है।”
- सोच का जाल मत बुनो
फालतू की सोच, भय और संशय धीरे-धीरे आत्मबल को नष्ट कर देते हैं। ज़रूरत है कि सोच पर नियंत्रण किया जाए और नाम-जप तथा कर्तव्य पर ध्यान दिया जाए।
- संयम और अनुशासन
नशा, व्यभिचार और गलत मित्रता जीवन को खोखला कर देते हैं। युवाओं को चाहिए कि ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करें। सुबह उठकर व्यायाम करें, ध्यान करें, भजन करें—यही असली शक्ति है।
- असली दोस्ती
सच्चा मित्र वही है जो सही मार्ग दिखाए। जो दोस्त गंदी आदतों में धकेल दे, वह दोस्त नहीं दुश्मन है। असली मित्रता तो वही है जिसका सारथी भगवान हों—जैसे अर्जुन का सारथी श्रीकृष्ण बने।
- आत्मबल जागृत करो
हर इंसान के भीतर इतना आत्मबल है कि वह किसी भी विपत्ति को सह सकता है। बस निर्णय करना है—“मैं हार मानने वाला नहीं।” जैसे ही यह निश्चय हो जाता है, निर्भयता का दिव्य रूप प्रकट हो जाता है।
- लक्ष्य: भारत का कल्याण
हमारा आचरण केवल हमें ही नहीं बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करता है। जब युवा धर्म और संयम से चलेंगे, तभी भारत सुखी और समृद्ध बनेगा।
🌸 निष्कर्ष
जीवन एक खेल है। ऐसा खेलो कि कभी घाटा न हो। रोना है तो केवल प्रभु के लिए रोओ, झुकना है तो केवल भगवान के चरणों में झुको, और नाचना है तो इतनी हिम्मत के साथ कि बड़े से बड़ा दुख भी तुम्हें रोक न पाए।