
जब आध्यात्मिक यात्रा अपने शिखर पर पहुँचती है, आत्मा ईश्वर से मिलन की दहलीज़ पर होती है — तब भी एक सच्चा भक्त क्या मांगता है?
मुक्ति नहीं।
वो कहता है — “प्रभु, बार-बार जन्म दो, बस हर जन्म में आपका साथ बना रहे।”
यही है Self Awakening Mission का वो प्रेमपूर्ण संदेश, जो संजीव मलिक जी की वाणी से निकलकर आत्मा को झंकृत कर देता है।
सचमुच, कौन चाहता है बार-बार जन्म लेना?
जब ये संसार स्वयं एक परीक्षा-स्थल है — पीड़ा, मोह, और भ्रम से भरा — तब कौन है जो बार-बार इस जग में आना चाहेगा?
एक ही है — सच्चा भक्त।
जिसके जीवन का उद्देश्य केवल प्रेम होता है, न कि मुक्ति।
जो ईश्वर को हर रूप में देखता है — श्रीकृष्ण, श्रीराम, भोलेनाथ, साईं बाबा, या फिर अपने सतगुरु के रूप में।
गुरु भक्ति: जब प्रेम ही जीवन बन जाए
संजीव मलिक जी कहते हैं,
“भक्त सब कुछ जानता है, फिर भी प्रेम में डूबने के लिए वह जान-बूझकर सब भूल जाना चाहता है।”
यही होती है सच्ची गुरु भक्ति –
जहां हर जन्म सिर्फ एक ही मकसद से लिया जाता है:
प्रभु के प्रेम को फिर से जीने के लिए।
प्रेम: जो युगों-युगों तक अमर रहता है
यह कोई आज का रिश्ता नहीं है।
यह तो युगों से चला आ रहा प्रेम का अनंत प्रवाह है।
हर युग में आत्मा उसी एक को खोजती है, उसी एक में खो जाना चाहती है।
और इसलिए, सच्चा भक्त कहता है —
“मुक्ति नहीं चाहिए, प्रभु! बस आप चाहिए — हर जन्म में, हर श्वास में।”
एक रूप पकड़ो, सभी रूप अपने हो जाएंगे
संजीव मलिक जी का संदेश स्पष्ट है:
अगर तुम एक रूप में प्रभु को पहचान लो, तो फिर हर रूप उसी में समा जाता है।
Self Awakening Mission का सार यही है —
“हर रूप में वही एक, हर जीवन में वही एक, हर प्रेम में वही एक!”
बस अपने सतगुरु के स्वरूप को पकड़ लो — और उसी में लीन हो जाओ।
निष्कर्ष: मुक्ति नहीं, प्रभु की निकटता चाहिए
सच्चा भक्त जानता है —
मुक्ति से बड़ा आनंद है प्रभु का साथ।
गुरु भक्ति से मिली यह निकटता आत्मा को बार-बार जन्म लेने को प्रेरित नहीं,
बल्कि आनंदित करती है।
यही है Self Awakening Mission का सच्चा संदेश:
प्रेम ही अंतिम सत्य है — और गुरु भक्ति उस सत्य की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति।